Contents
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1 1857 Ki Kranti
o 1.1 १८५७ विद्रोह के कारण
§ 1.1.1 1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण- Political Causess of 1857
Revolt
§ 1.1.2 1857 के विद्रोह के आर्थिक कारण Economic Causes of 1857
Rebellion
§ 1.1.3 1857 के विद्रोह के सामाजिक कारण Social Causes of 1857 Mutiny
§ 1.1.4 1857 के विद्रोह के धार्मिक कारण Religious Causes of 1857 ki
Kranti
§ 1.1.5 1857 के विद्रोह के सैनिक कारण Military Causes of the
Great Revolt of 1857
§ 1.1.6 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण Immediate Causes of
1857 Sepoy Mutiny
o 1.2 विद्रोह के प्रमुख केंद्र और केंद्र के प्रमुख नेता (Leaders
of revolt of 1857)
o 1.3 विद्रोह की असफलता के कारण
(Causes of Failure of 1857 ki Kranti)
o 1.4 1857 ई. के विद्रोह के परिणाम (Consequences of revolt of
1857)
1857 Ki Kranti
आज मैं 1857 ki Kranti के
विषय में केवल
उन्हीं तथ्यों को
लिखूंगा जो आपकी
परीक्षा में काम
आ सकें.
ठीक है,
तो बताइये कि
१८५७ की क्रांति किस ब्रिटिश गवर्नर जनरल
के शासन काल
में हुई थी?
नहीं पता है
तो आगे पढ़िए.
लॉर्ड डलहौजी के पश्चात् लॉर्ड कैनिंग गवर्नल जनरल (governor general) बनकर
भारत आया और
इसी के शासन काल
में १८५७ ई.
में ब्रिटिश शासन
के खिलाफ विद्रोह हुआ. शीघ्र ही
यह विद्रोह मेरठ, कानपुर, बरेली, झाँसी, दिल्ली और लगभग
पूरे भारत में
जड़ें जमाने लगा.
ऐसे तो
कई लोग 1857 ki Kranti के
होने के कई
कारण (Causes) देते हैं पर
असल में यह
एक सैनिक विद्रोह (Sepoy mutiny) ही था.
इस विद्रोह का
आगाज़ भारतीय सैनिकों द्वारा अपने अँगरेज़ सैनिक अधिकारियों के
विरुद्ध हुआ, किन्तु तुरंत ही
यह विद्रोह एक
बड़ा रूप लेने
लगा और एक
जनव्यापी विद्रोह बन कर
उभरा. 1857 ki Kranti को प्रथम
भारतीय संग्राम भी
कहा जाता है.
चलिए अब
विद्रोह के कारण
जान जाएँ….
१८५७
विद्रोह के कारण
१. राजनीतिक कारण
२. आर्थिक कारण
३. सामाजिक कारण
४. धार्मिक कारण
५. सैनिक कारण
६. तात्कालिक कारण
1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण- Political
Causess of 1857 Revolt
१. लॉर्ड
डलहौजी का Doctrine of Lapse, जिसे
हिंदी में हड़प
नीति कहा जा
सकता है या
भारत को हड़पने
की नीति भी
कह सकते हैं, इसके कारण
तत्कालीन राजवंशों में
असंतोष, आक्रोश व्याप्त हो गया
था.
२. भले
ही बहादुरशाह जफर
एक नाममात्र का
शासक था किन्तु उसको चाहने
वाले अब भी
बाकी थे. अंग्रेजों ने 1835 ई.
के पश्चात् मुग़ल
बादशाह का आदर
सम्मान करना बंद
कर दिया था
जिससे कुछ बहादुर शाह को
चाहने वाले अंग्रेजों से क्षुब्ध थे.
३. नाना
साहब की पेंशन
बंद हो गयी
थी. ऐसे ही
कई देशी नरेश
व्यक्तिगत रूप से
अंग्रेजों से क्षुब्ध चल रहे
थे.
४. अंग्रेजों ने नौकरी
देने के सम्बन्ध में भारतीयों के साथ
भेदभाव किया. इसलिए
भारतीय युवा भी
ब्रिटिश शासन से
खफा थे.
1857 के विद्रोह के आर्थिक कारण Economic
Causes of 1857 Rebellion
१. लॉर्ड
विलियम बैंटिक ने
भारतीय जमींदारों से
उन्हें इनाम में
मिली भूमि को
छीन लिया था,
परिणामस्वरूप भारतीय जमींदार गरीब और
निस्सहाय हो गए
थे.
२. अंग्रेजों की व्यापारिक नीति के
कारण भारतीय उद्योग-धंदे चौपट
हो गये थे.
धंधे में लगे
लोग बेरोजगार हो गए थे.
३. भारतीय किसान भी
अंग्रेजों के लगान
और रैयतवाड़ी या
महलवाड़ी कु-व्यवस्थाओं के कारण
क्रोधित थे. किसानों की दशा
बद से बदतर
हो गयी थी.
1857 के विद्रोह के सामाजिक कारण Social Causes
of 1857 Mutiny
१. अंग्रेजों ने जाति
नियमों की उपेक्षा की. विलियम बैंटिक ने
सती प्रथा पर
प्रतिबंध लगा दिया. भारतीय रुढ़िवादी आहत थे.
२. अंग्रेजों द्वारा चलाये
गए रेल, डाकतार आदि को
भारतीयों ने भ्रमवश गलत अर्थ
में लिया. उन्होंने सोचा कि
ये साधन ईसाई
धर्म के प्रचार के लिए
है.
३. अंग्रेजों ने पाश्चात्य सभ्यता, संस्कृति, भाषा
एवं साहित्य का
अधिकाधिक प्रचार किया
और भारतीय संस्कृति, भाषा-साहित्य को नीचा
दिखाया, इससे भी
लोग क्षुब्ध थे.
४. भारतीय रजवाड़ों को
अपने अंकुश में
रखा. रह-रह
कर रजवाड़ों की
बेज्जती भी करते
थे.
1857 के विद्रोह के धार्मिक कारण Religious
Causes of 1857
ki Kranti
१. अँगरेज़ हिन्दू धर्म
व इस्लाम की
खुल कर आलोचना करते थे.
इससे हिन्दू-मुस्लिम धर्म के
लोगों को ठेस
पहुँचती थी.
२. शिक्षण संस्थाओं के
माध्यम से अंग्रेजों ने ईसाई
धर्म का जोर-शोर से
प्रचार किया ताकि
आने वाली भारतीय पीढ़ी का
ईसाई धर्म के
प्रति रुझान हो.
इससे भी भारतीय रुष्ट थे.
३.
ईसाई धर्म स्वीकार करने वालों
को सरकारी नौकरी, उच्च पद
तथा अनेक सुविधाएँ प्रदान की
गयीं. हिन्दू एवं
मुस्लिम खुद को
अलग-थलग महसूस
करने लगे.
1857 के विद्रोह के सैनिक कारण
Military Causes of the Great Revolt of 1857
१. भारतीय सैनकों के
साथ अँगरेज़ भेद-भाव करते
थे, चाहे वह
प्रोन्नति या नियुक्ति का मामला
हो…हिन्दू-मुस्लिम को हेय
दृष्टि से देखा
जाता था.
२. प्रथम
अफगान युद्ध में
अंग्रेजों की पराजय
से भारत में
भारतीय सैनिकों के
आत्मबल में वृद्धि हुई. उन्हें अब लगने
लगा की अंग्रेज़ी शक्ति को
भी परास्त किया
जा सकता है.
३. मंगल
पाण्डे वाली स्टोरी तो आप
जानते ही होंगे. वही कारतूस वाला मामला. पर इसको
तात्कालिक कारण में
डालना ठीक होगा.
४. बंगाल
सेना में जो
ब्राह्मण, राजपूत जाति
के थे, वे
भारत देश से
बाहर जाना नहीं
चाहते थे, उन्हें लगता था
कि बाहर जाकर
उनका धर्म भ्रष्ट हो जायेगा. पर अंग्रेजों ने ऐलान
किया कि सैनिकों को सेवा
करने के लिए
कहीं भी भेजा
सकता है.
1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण Immediate Causes
of 1857 Sepoy Mutiny
लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में सैनिकों को एक
ऐसे कारतूस का
प्रयोग करना पड़ा, जिसमें गाय
और सूअर की
चर्बी लगी थी
जिसे मुँह से
काटना पड़ता था
(सच्ची????Oh my god)….इससे हिन्दू और मुसलमान सैनिकों में
भारी रोष उत्पन्न हो गया.
विद्रोह
के प्रमुख केंद्र और केंद्र के प्रमुख नेता (Leaders of revolt of 1857)
१. दिल्ली-
बहादुरशाह (Bahadur Shah)
२. कानपुर- नाना
साहब (Nana Saheb)
३. लखनऊ- बेगम
हजरत महल (Beghum Hazrat Mahal)
४. इलाहाबाद-
लियाकत अली (Liyaqat Ali)
५. झाँसी- रानी
लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai)
६. जगदीशपुर
(बिहार)- कुँवर सिंह (Kunwar Singh)
विद्रोह
की असफलता के कारण (Causes of Failure of 1857 ki
Kranti)
1857 ई.
में व्यापक पैमाने पर हुए
इस विद्रोह में
भारतीय सैनिकों की
संख्या अंग्रेजों की
सैनिकों की संख्या से कहीं
अधिक थी. यही
कारण रहा कि
प्रारम्भ में अनेक
स्थानों पर भारतीयों को सफलता
प्राप्त हुई. किन्तु अंत में
इस विद्रोह का
दमन कर दिया
गया.
१. विद्रोह का प्रारम्भ समय से पूर्व होना
विद्रोह की
तिथि 31 मई, 1857 निर्धारित की गयी
थी, किन्तु बैरकपुर में सैनिकों ने उत्साह में आकर
समय से पूर्व
ही विद्रोह कर
दिया जिसके कारण
भारत में एक
साथ विद्रोह नहीं
हो सका.
२. राष्ट्रीय भावना का अभाव
राष्ट्रीय भावना
के अभाव के
कारण भारतीय समाज
के सभी वर्गों ने विद्रोह में साथ
नहीं दिया बल्कि
सामंतवर्ग अंग्रेजों के
साथ ही चिपके
रहे.
३. कमजोर नेतृत्व
लोग बहादुरशाह जफर को
इतने बड़े विद्रोह का नेतृत्वकर्ता बनाने के
फ़िराक में थे
जो खुद अपने
जीवन की उलटी
गिनती गिन रहा
था. लोगों की
मानसिकता यह थी
कि चूँकि मुगलों ने भारत
पर इतने साल
राज किया है,
तो बहादुर शाह
को ही इस
विद्रोह की कमान
सौंपी जाए.
बहादुर शाह
एक कवि भी
था. विद्रोह की
असफलता, दिल्ली की
बरबादी और अपनी
बेबसी से खिन्न
होकर उसने यह
शेर लिखा था—
४. सैनिक दुर्बलता
भारतीय सेना
अंग्रेजी सेना के
सामने कुछ नहीं
थी. यही कड़वा
सच है. अंग्रेजी सेना कुशल
और संगठित थी
और भारतीय सैनिकों में आपस
में ही विभिन्न विचार और
मत थे.
५. आवागमन तथा संचार के साधन
डलहौजी ने
भारत में रेलवे
और सड़कों पर
बहुत काम किया
था. संचार के
जाल को फैलाने में उसका
बहुत बड़ा हाथ था.
ये सड़कें, पटरी
पर दौड़ती रेलें
अंग्रेजों के लिए
युद्ध को दबाने
के लिए बहुत
सहायक सिद्ध हुए.
६. धन का अभाव
आज भी
देश के रक्षा मंत्री कुछ शस्त्रों पर खर्च कर दें तो देश की जनता हो-हल्ला मचाने लगती है, कहने लगती है कि गरीबों पर खर्च करो, गरीबी दूर करो, फिर सैन्य सामग्री लेना. हद है.
1857 के समय
भारत में क्रांतिकारियों के पास न पैसे थे और न उचित अस्त्र-शस्त्र. उनकी दयनीय स्थिति का अंग्रेजों ने भरपूर लाभ उठाया.
ये थे सन् सत्तावन की क्रांति में सामरिक हार के कारण. परन्तु इससे यह नहीं समझना कि वह क्रांति, क्रांति नहीं थी, या उसे राजनीतिक सफलता प्राप्त नहीं हुई. वह पहले दर्जे की क्रांति थी और उसे राजनीतिक दृष्टि से असाधारण सफलता प्राप्त हुई. 1958 के अंत में राजनीतिक दृष्टि से वह भारत सर्वथा लुप्त हो चुका था, जो 1857 के मई मास के आरम्भ में था. 57 की क्रांति ने उसकी अंतरात्मा में ऐसा भारी परिवर्तन कर दिया था कि लगभग एक सदी तक उसे दबाने की चेष्टा करके भी अंग्रेज सफल न हो सके. सन् १९४७ का राज्य-परिवर्तन सन् १८५७ की क्रान्ति की प्रेरणा का ही अंतिम फल था.
1857 ई. के विद्रोह के परिणाम (Consequences of revolt of 1857)
१. 1857 ki Kranti के बाद ब्रिटेन में हल्ला मच गया. वहाँ के सरकार को लगने लगा कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत को संभाल नहीं पायेगी. 1858 ई. में ब्रिटिश संसद में एक कानून पारित हुआ और ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत में शासन का अंत कर दिया गया. भारत का शासन अब महारानी के हाथ में चला गया.
२. 1858 ई. में
पारित हुए कानून के अनुसार गवर्नर जनरल के पद में परिवर्तन कर उसे वायसराय नाम प्रदान किया गया. Viceroy (Vice = उप और Roy =राजा) अर्थात् राजा का प्रतिनिधि.
३. सेना
का पुनर्गठन किया गया. अँगरेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गयी. तोपखाना पूरी तरह
से अंग्रेजों के अधीन कर दिया गया.
४. देर
आये दुरुस्त आये. अब भारतीयों में राष्ट्रीय भावना के विकास ने गति पकड़ ली.
अगले लेख
में हम उन्नीसवीं शताब्दी के अन्य विद्रोहों के बारे में पढेंगे जैसे- कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह, खासी विद्रोह, अहोम विद्रोह, पागल पंथी विद्रोह, फरैज़ियों का विद्रोह, भील विद्रोह, बघेरा विद्रोह, रॉमोसी विद्रोह, सूरत का नमक आन्दोलन, गाडकारियों का विद्रोह, कूका आन्दोलन, वहाबी आन्दोलन आदि.
Today
I wrote an article related to 1857 mutiny. This article will prove to be very
beneficial for Hindi-medium students because in modern history, the Sepoy
mutiny is the most important chapter covering a large number of questions in
exams like Civil Services, SSC, Railway etc.
The
Sepoy mutiny started from Meerut and it spread country-wide like fire. After
Lord Dalhousie, Lord Canning came to India as a Governor-General. 1857 mutiny
occurred was the first Indian revolt against the Britishers. We discussed about
political, economic, social, religious, military and immediate causes of the Sepoy
rebellion. We named the leaders involved in the revolt
in different cities or states.
Lack
of appropriate leadership, want of nationalist spirit among Indians, weak
Indian military, dearth of money were the top reasons of the failure of this
mutiny. After the 1857 war of independence, the East India Company was replaced
by that of the British government.