जनजातीय एवं आदिवासी लोग देश के पश्चिमी, मधयवर्ती एवं उत्तरपूर्वी हिस्सों के विशाल क्षे= के निवासी थे। इनकी विशिष्ट आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्ड्डतिक परिस्थितियों के कारण औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया में इन्होंने अपनी संस्ड्डति में हो रहे अनावश्यक हस्तक्षेप का विरोध किया। 18वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी तक हुए इन आन्दोलनों के प्रमुख कारणों में
सामूहिक स्वामित्व की प्रथा पर हस्तक्षेप
ईसाई धार्म प्रचारकों की गतिविधिायां
वन क्षेत्रें में बढता सरकारी नियं=ण
आदिवासियों को सामान्य कानून के अंतर्गत लाया जाना।
आदिवासियों के सांस्ड्डतिक व धाार्मिक जीवन में हस्तक्षेप
आदिवासियों का आर्थिक शोषण, इत्यादि थे।
आदिवासी आन्दोलनों को तीन चरणों में बांटा जा सकता हैं प्रथम (1795-1860), दूसरा (1860-1920), तीसरा (1920 स्वतं=ता तक)। इन चरणों के अंतर्गत हुए आन्दोलनों को हम निम्नानुसार देख सकते हैं।
प्रथम चरण के आन्दोलन
आंदोलन नेतृत्वकर्ता कारण/उद्देश्य
1- पहाडिया आन्दोलन (1778) तंर उंींस पहाडिया क्षे= में अतिक्रमण
2- खोंड विद्रोह (1837-56) चक्रबिसोई मानव बलि प्रथा बंद करने एवं साहूकारों के प्रवेश के विरूद्व
3- कोल एवं हो विद्रोह अंग्रेजों द्वारा इनके क्षेत्रें
(1827-30) में अतिक्रमण
4- संथाल विद्रोह सिद्वू, कान्हू दीकुओ (बाहरी लोगों) द्वारा
(1855-56) आर्थिक शोषण के विरूद्व
5- खेखाड विद्रोह भागीरथ आर्थिक शोषण के विरूद्व
(1835)
द्वितीय चरण के आन्दोलन
1- खाखाड़ विद्रोह (1870) लगान बंदोबस्ती के विरूद्व एकेश्वरवाद एवं आतंरिक सुधाारों का प्रचार)
2- खोण्डा डोरा विद्रोह कोर्रा मल्लया अंग्रेजों के शोषण के विरूद्व
(1900) (इसने पाण्डवों का
अवतार होने का
दावा किया)
3- नैकदा आन्दोलन अंग्रेज अधिाकारियों एवं सवर्ण हिन्दुओं के विरूद्व धर्मराज स्थापित करना उद्देश्य
4- भील विद्रोह गोविन्द गुरू बंधा आ मजदूरी के विरूद्व
(1911-1913) भीलराज स्थापित करना उद्देश्य
5- भुयान और जुआंग रत्ननायक आदिवासियों का आत्मसम्मान
विदा्रह (1867-68) आहतकरना एवं आर्थिक शोषण
1891-1893)
6- बस्तर का विद्रोह वन अधिानियमों का क्रियान्वयन
(1910) एवं सामन्तीकरारोपण
7- कोया विद्रोह टोम्भा सोरा आदिवासियों के परम्परागत
(1803-1880) अधिाकारों में हस्तक्षेप, साहूकारी
शोषण के विरूद्व
8- मुण्डा विद्रोह बिरसा मुण्डा मुण्डारी प्रथा रोकने व सामन्ती
(1899-1900) शोषण के विरूद्व
तृतीय चरण के आन्दोलन
ताना भगत आन्दोलन आर्थिक कमजोरी के लिए
(1920-30) सांस्ड्डतिकरण को लेकर
चेंचू आन्दोलन चरवाही शुल्क एवं जंगल कानून
(1920-30) के विरूद्व
रम्पा विद्रोह अल्लूरी सीताराम राजू साहूकारी शोषण एवं वन
(1916-24) कानून के विरूद्व
सामूहिक स्वामित्व की प्रथा पर हस्तक्षेप
ईसाई धार्म प्रचारकों की गतिविधिायां
वन क्षेत्रें में बढता सरकारी नियं=ण
आदिवासियों को सामान्य कानून के अंतर्गत लाया जाना।
आदिवासियों के सांस्ड्डतिक व धाार्मिक जीवन में हस्तक्षेप
आदिवासियों का आर्थिक शोषण, इत्यादि थे।
आदिवासी आन्दोलनों को तीन चरणों में बांटा जा सकता हैं प्रथम (1795-1860), दूसरा (1860-1920), तीसरा (1920 स्वतं=ता तक)। इन चरणों के अंतर्गत हुए आन्दोलनों को हम निम्नानुसार देख सकते हैं।
प्रथम चरण के आन्दोलन
आंदोलन नेतृत्वकर्ता कारण/उद्देश्य
1- पहाडिया आन्दोलन (1778) तंर उंींस पहाडिया क्षे= में अतिक्रमण
2- खोंड विद्रोह (1837-56) चक्रबिसोई मानव बलि प्रथा बंद करने एवं साहूकारों के प्रवेश के विरूद्व
3- कोल एवं हो विद्रोह अंग्रेजों द्वारा इनके क्षेत्रें
(1827-30) में अतिक्रमण
4- संथाल विद्रोह सिद्वू, कान्हू दीकुओ (बाहरी लोगों) द्वारा
(1855-56) आर्थिक शोषण के विरूद्व
5- खेखाड विद्रोह भागीरथ आर्थिक शोषण के विरूद्व
(1835)
द्वितीय चरण के आन्दोलन
1- खाखाड़ विद्रोह (1870) लगान बंदोबस्ती के विरूद्व एकेश्वरवाद एवं आतंरिक सुधाारों का प्रचार)
2- खोण्डा डोरा विद्रोह कोर्रा मल्लया अंग्रेजों के शोषण के विरूद्व
(1900) (इसने पाण्डवों का
अवतार होने का
दावा किया)
3- नैकदा आन्दोलन अंग्रेज अधिाकारियों एवं सवर्ण हिन्दुओं के विरूद्व धर्मराज स्थापित करना उद्देश्य
4- भील विद्रोह गोविन्द गुरू बंधा आ मजदूरी के विरूद्व
(1911-1913) भीलराज स्थापित करना उद्देश्य
5- भुयान और जुआंग रत्ननायक आदिवासियों का आत्मसम्मान
विदा्रह (1867-68) आहतकरना एवं आर्थिक शोषण
1891-1893)
6- बस्तर का विद्रोह वन अधिानियमों का क्रियान्वयन
(1910) एवं सामन्तीकरारोपण
7- कोया विद्रोह टोम्भा सोरा आदिवासियों के परम्परागत
(1803-1880) अधिाकारों में हस्तक्षेप, साहूकारी
शोषण के विरूद्व
8- मुण्डा विद्रोह बिरसा मुण्डा मुण्डारी प्रथा रोकने व सामन्ती
(1899-1900) शोषण के विरूद्व
तृतीय चरण के आन्दोलन
ताना भगत आन्दोलन आर्थिक कमजोरी के लिए
(1920-30) सांस्ड्डतिकरण को लेकर
चेंचू आन्दोलन चरवाही शुल्क एवं जंगल कानून
(1920-30) के विरूद्व
रम्पा विद्रोह अल्लूरी सीताराम राजू साहूकारी शोषण एवं वन
(1916-24) कानून के विरूद्व
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