भारत सरकार भारत
की तथा इसके प्रत्येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है। भारतीय
शस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास है। राष्ट्र की
रक्षा का दायित्व मंत्री मंडल के पास होता है। इसका निर्वाहन रक्षा मंत्रालय से
किया जाता है, जो सशस्त्र बलों
को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और
जानकारियां प्रदान करता है।
भारतीय शस्त्र
सेना में तीन प्रभाग हैं ;-
• भारतीय थलसेना
• भारतीय जलसेना
• भारतीय वायुसेना
अन्य कई स्वतंत्र
और आनुषांगिक इकाइयाँ
• भारतीय सीमा सुरक्षा बल
• सशस्त्र सीमा बल
• भारत तिब्बत सीमा पुलिस
• असम राइफल्स
• राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड
• राष्ट्रीय राइफल्स
• अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो
• केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल
• भारतीय तटरक्षक
1. भारतीय थलसेना:- स्थापना सन् १९४७ में भारत को
स्वतंत्रता मिलने के तुंरत बाद हुई थी| ब्रिटिश राज के समय की अधिकतर रेजीमेंटों को यथावत रहने दिया गया| संयुक्त राष्ट्र की शान्ति सेनाओं के सदस्य के
तौर पर भारतीय थलसेना ने विश्व के अधिकतर युद्ध एवं संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में
उत्कृष्ट योगदान दिया है!भारतीय थलसेना भारतीय सशस्त्र सेनाओं की थल इकाई है,
इसपर भूमि पर संचालित होने वाले सैन्य
कार्यक्रमों का उत्तरदायित्व है| इसके प्राथमिक
उद्देश्य भारतीय सीमाओं की बाहरी शक्तियों के आक्रमण से रक्षा करना, देश के अन्दर शान्ति एवं सुरक्षा सुनिश्चित
करना, सीमाओं की निगरानी एवं
आतंक विरोधी कार्यक्रमों का सञ्चालन करना हैं| आपदा, अशांति और उपद्रव
की स्थितियों में भारतीय थलसेना बचाव एवं मानवीय सहायता पहुँचाने में प्रशासन का
सहयोग भी करती है| थलसेना का
नियंत्रण एवं सञ्चालन का कार्य भारतीय रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत है|
2.भारतीय जलसेना :-
भारतीय नौसेना
सन् 1613 ई. में ईस्ट इंडिया
कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में इंडियन मेरीन संगठित की गई। 1685 ई. में इसका नामकरण "बंबई मेरीन"
हुआ, जो 1830 ई. तक चला। 8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय
विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का
प्रादुर्भाव हुआ।
3.भारतीय वायुसेना
(इंडियन एयरफोर्स) :-
भारतीय सशस्त्र
सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा,
एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए
करती है। इसकी स्थापना ८ अक्टूबर १९३२ को की गयी थी। आजादी (१९५० में पूर्ण
गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था!
उपर्युक्त चार कमानें निम्नलिखित हैं :
• फौजी कार्यवाही कमान
• प्रशिक्षण कमान
• अनुरक्षण कमान
• ईस्टर्न एअर कमान
१९५२ ई. में
संसद् द्वारा रिज़र्व एंड ऑक्ज़िलियरी एअर फोर्स ऐक्ट पारित किया गया। इस ऐक्ट का
पालन करने के लिए निम्नलिखित सात स्क्वाड्रनों का गठन किया गया :
• ५१ नं. (दिल्ली)
• ५२ नं. (बंबई)
• ५३ नं (मद्रास)
• ५४ नं. (उ. प्र.)
• ५५ नं. (बंगाल)
• ५६ नं. (उड़ीसा)
• ५७ नं. (पंजाब)
स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ :- भारत के
अर्धसैनिक बल
• भारतीय सीमा सुरक्षा बल (सीसुब या बीएसएफ) :-
भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है एवँ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है।
जिसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था। इसकी जिम्मेदारी शांति के समय के
दौरान भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय
अपराध को रोकना है। इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है और यह 6,385.36 किलोमीटर लंबी
अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती हैं|
• सशस्त्र सीमा बल (SSB):- भारत का एक अर्धसैनिक बल है जिसपर 1,751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की
जिम्मेदारी है। इस सीमा से हथियारों, गोला-बारूद की तस्करी और देश विरोधी तत्वों की अवैध रूप से भारत में आवाजाही
का खतरा रहता है।
• भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) :- भारतीय अर्ध-सैनिक बल है। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1962 में भारत-तिब्बत सीमा की चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र
से रक्षा हेतु की गई थी। ये बल इस सीमा पर काराकोरम दर्रा से लिपुलेख दर्रा और
भारत-नेपाल-चीन त्रिसंगम तक २११५ कि॰मी॰ की लंबाई पर फैली सीमा की रक्षा करता है।
• असम राइफल्स :- असम राइफल्स का गठन 1835 में कछार लेवी के नाम से किया गया था। यह देश
का सबसे पुराना पुलिस बल है। इसमें 46 बटालियन हैं। इस पर पूर्वोत्तर क्षेत्र की आंतरिक सुरक्षा और भारत-म्यांमार
सीमा की सुरक्षा का दोहरा उत्तरदायित्व है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोंगों को
राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने में असम राइफल्स की भूमिका सराहनीय रही है। इस बल को
प्यार से ‘पूर्वोत्तर का प्रहरी’
और ‘पर्वतीय लोगों का मित्र’ कहा जाता है।
• राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड :- राष्ट्रीय सुरक्षा
गार्ड (एनएसजी) भारत की एक विशेष प्रतिक्रिया यूनिट है जिसका मुख्य रूप से आतंकवाद
विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग किया गया है। इसका गठन भारतीय संसद के राष्ट्रीय
सुरक्षा गार्ड अधिनियम के तहत कैबिनेट सचिवालय द्वारा १९८६ में किया गया था। यह
पूरी तरह से केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल के ढांचे के भीतर काम करता है।एनएसजी
भूमिकाओं में शामिल अति विशिष्ट व्यक्तियों की रक्षा, विरोधी तोड़फोड़ की जाँच का आयोजन, बचाव बंधकों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को आतंकवादी खतरों को निष्क्रिय, आतंकवादियों को उलझाने और अपहरण और चोरी करने
के लिए जवाब है।
• पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बी.पी.आर
एण्ड डी):- स्थापना पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के बारे में भारत सरकार के उद्देश्य
को पूरा करने के लिए २८ अगस्त, १९७० को की गई
थी।[2] अब यह बहुआयामी एवं
परामर्शदाता संगठन है और इसके चार प्रभाग हैं। मूल रूप से संस्थान में दो प्रभाग
होते थे: अनुसंधान एवं विकास प्रभाग। बाद में १९७३ में प्रशिक्षण प्रभाग जोड़ा
गया। इसके बाद १९८३ में फॉरेन्ज़िक विज्ञान प्रभाग और १९९५ में दिष-सुधार प्रशासन
प्रभाग जुड़े। इसके साथ साथ कुछ अन्य विभागों ने संस्थान के कुछ कार्य संभाले,
जैसे १९७६ में अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक
विज्ञान ने कुछ संबंधित कार्य संभाला। इस विभाग को बाद में लोक नायक जय प्रकाश
नारायण राष्ट्रीय अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक विज्ञान नाम दिया गया। १९८६ में
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो और २००२ में फॉरेन्ज़िक विज्ञान निदेशालय ने
संभाला।
• केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF):- एक अर्धसैनिक बल हैं, जिसका मुख्य कार्य सरकारी कारखानो एवं अन्य सरकारी उपक्रमों
को सुरक्षा प्रदान करना है। ये बल देश के विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की भी
सुरक्षा करता है। इस बल का गठन 1969 में हुआ था। आज
इस बल की संख्या लगभग 1.50 लाख है। ये बल
सरकारी उपक्रमों की सुरक्षा के आलावा देश के आंतरिक सुरक्षा,विशिष्ट लोगों की सुरक्षा,मेट्रो,परमाणु संस्थान,ऐतिहासिक धरोहरों,आदि की भी सुरक्षा करता है।
• भारतीय तटरक्षक :- भारतीय तटरक्षक की स्थापना
शांतिकाल में भारतीय समुद्र की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में संसद
द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978 के अंतर्गत की
गई।इस योजना को मूर्तरूप देने हेतु सितम्बर 1974 में श्री के एफ रूस्तमजी की अध्यक्षता में समुद्र में
तस्करी की समस्याओं से निपटने तथा तटरक्षक जैसे संगठन की स्थापना का अध्ययन
करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने एक ऐसी तटरक्षक सेवा की
सिफारिश की जोकि रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में नौसेना की तर्ज पर
सामान्य तौर पर संचालित हो तथा शांतिकाल में हमारे समुद्र की सुरक्षा करे। 25 अगस्त 1976 को भारत का समुद्री क्षेत्र अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम
के अधीन भारत ने 2.01 लाख वर्ग
किलोमीटर समुद्री क्षेत्र का दावा किया, जिसमें भारत को समुद्र में जीवित तथा अजीवित दोनों ही संसाधनों के अन्वेषण
तथा दोहन के लिए अनन्य अधिकार होगा। इसके बाद मंत्रिमंडल द्वारा 01 फ़रवरी 1977 से एक अंतरिम तटरक्षक संगठन के गठन का निर्णय लिया गया। 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में भारतीय
संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978के तहत भारतीय
तटरक्षक का औपचारिक तौर पर उद्घाटन किया गया।
इसे पाँच
क्षेत्रों में बाँटा गया है :
• पश्चिमी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : मुंबई
• पूर्वी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : चेन्नई
• उत्तर पूर्वी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय :
कोलकाता
• अंडमान व निकोबार क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय
: पोर्ट ब्लेयर
• उत्तर पश्चिमी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय :
गाँधीनगर, (गुजरात)
Various
Security forces and agencies and their mandate in hindi for upsc
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